SB's Blog
Saturday, May 13, 2023
सत्यान्वेषण
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मैं अपनी सारी मान्यताओं को विश्वासों को आदर्शों को खड़ा कर देना चाहता हूँ उन तर्क-वितर्कों के आगे जो करें इनपे प्रहार पूरी ताक़त से पुरज...
Monday, June 12, 2017
ऐंठन
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किस बात पे इतना गरजे हो किस बात पे तुमको इतनी अकड़ अपने ही बने उस जाल में कल फंस कर के मरी है एक मकड़ किस बात की इतनी ऐंठन है ...
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Saturday, June 10, 2017
हमने तुमने...
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हमने तुमने आग बरसते शोलों की रखवाली की है.. हमने तुमने अपनी बस्ती आप जलाकर खाली की है.. हमने तुमने दरियाओं को भी धारों में बाँट द...
Sunday, June 4, 2017
ऐ जिंदगी..
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कोई ख्वाब है के ख़याल है.. तू जवाब है के सवाल है.. तुझे ढूंढने की थी ख्वाईशें.. तू जो मिल गई तो मलाल है.. ऐ जिंदगी.. ऐ जिंदगी... ...
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Sunday, May 14, 2017
साहब..मैं कुत्ता हूँ..
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साहब..मैं कुत्ता हूँ.. अपनी जात का आदमी सूँघ लेता हूँ.. फिर हम मंडलियों में भौंकते हैं.. जिसकी भौंक जितनी ऊँची.. उसकी जात का उतना ...
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Saturday, May 13, 2017
क्यूँ कहूँ?
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क्यूँ कहूँ? कहना जरुरी है? तब तो नहीं था! हाँ..तब जब.. एक चाँद पर नजरें गाड़े.. हम दोनों ने ख्वाब बुने थे.. और मिलाकर तारों...
Tuesday, May 2, 2017
और चाहिए भी क्या..
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( चित्र : गूगल साभार ) चाँद , रात , तेरी बात , और चाहिए भी क्या .. संग तेरे अब हयात , और चाहिए भी क्या .. फूल शर्...
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