हमनजर हो जाइये या हमसफ़र हो जाइये...
आज हमसे मिल के अब शाम-ओ-सहर हो जाइये...
तेरे बिन चारों तरफ कैसा अँधेरा छा गया...
इस अँधेरी रात में आ दोपहर हो जाइये...
तू गया तड़पा हूँ तबसे तेरी बाँहों के लिए...
जो भरे आघोष में ऐसी लहर हो जाइये...
या बसा दे ये जहाँ आकर के मेरे पास में...
छीन ले या जिन्दगी ऐसा कहर हो जाइये...
-सोनित
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 08-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ
ReplyDeleteमेरी इस छोटी सी रचना को आपने इस काबिल समझा...बहुत बहुत धन्यवाद गाफिल जी...मुझे अन्य लोगों तक पहुँचने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteतेरे बिन चारों तरफ कैसा अँधेरा छा गया...
ReplyDeleteइस अँधेरी रात में आ दोपहर हो जाइये...
bakhubi iltaja vo ikarar ka manjar dakhil karta hua ....../ kabhi kafila -e- muntjir ho jayiye ..../shukriya ji .
aap to chha gaye...bahut badhiya prastuti
ReplyDeletebahut pyari ghazal likhi hai.yese hi aage badhte rahiye.god bless you.mere yahan bhi aaiye,mitrta badhaaiye.
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल...
ReplyDeleteशुभकामनाएं...
achhi prastuti .
ReplyDeletebahut badiyaa bhav liye shaandaar prastuti.badhaai aapko.
ReplyDelete"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतरीन और उम्दा गजल
ReplyDeleteमेरी रचना को आप सबने पढ़ा और इतनी अच्छी प्रतिक्रियाएँ दी...आज दिल फूले नही समा रहा...बहुत बहुत धन्यवाद...आशा करता हूँ भविष्य में भी आप सभी का इसी तरह प्रोत्साहन व आशीर्वाद मिलता रहे...आपका आभारी...
ReplyDeleteसोनित भाई, बहुत सुंदर बात कही।
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क्या भारतीयों तक पहुँचेगी यह नई चेतना ?