Saturday, August 27, 2016

!! मुद्दा !!

पहले मुद्दा बनता एक खबर
फिर..ख़बरें मुद्दा बन जाती हैं
मुद्दों पर बहसें होती है
फिर बहसों में मरती मर्यादा
खुद एक खबर बन जाती है..

मुद्दा मुर्दा बन जाता है..
            
         -सोनित

Sunday, August 14, 2016

वो हिन्द का सपूत है..

लहू लुहान जिस्म रक्त आँख में चड़ा हुआ..
गिरा मगर झुका नहीं..पकड़ ध्वजा खड़ा हुआ..
वो सिंह सा दहाड़ता.. वो पर्वतें उखाड़ता..
जो बढ़ रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है.. 

वो दुश्मनों पे टूटता है देख काल की तरह..
ज्यों धरा पे फूटता घटा विशाल की तरह..
स्वतंत्रता के यज्ञ में वो आहुती चड़ा हुआ..
जो जल रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..

वो सोचता है कीमतों में चाहे उसकी जान हो..
मुकुटमणि स्वतंत्रता माँ भारती की शान हो..
वो विषभरा घड़ा उठा सामान नीलकंठ के..
जो पी रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..

                                                              -सोनित

Sunday, August 7, 2016

वक़्त

वक़्त को दीवार पर टांग रखा है
और जब देखता हूँ शक्ल उसकी
जैसे कोई बेबस.. तिलमिलाता हुआ
लाख मजबूरियाँ..पर जिंदगी बसर करता

फिर रात के सन्नाटों में आकर मुझसे
वो मेरे कान में कुछ फुसफुसा के कहता है
अपनी उम्र का दम घुटते सुना है तुमने??
और टिक-टिक सी इक आवाज़ सुना जाता है..

                                                        - सोनित