Sunday, August 7, 2016

वक़्त

वक़्त को दीवार पर टांग रखा है
और जब देखता हूँ शक्ल उसकी
जैसे कोई बेबस.. तिलमिलाता हुआ
लाख मजबूरियाँ..पर जिंदगी बसर करता

फिर रात के सन्नाटों में आकर मुझसे
वो मेरे कान में कुछ फुसफुसा के कहता है
अपनी उम्र का दम घुटते सुना है तुमने??
और टिक-टिक सी इक आवाज़ सुना जाता है..

                                                        - सोनित

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