Sunday, June 4, 2017

ऐ जिंदगी..

कोई ख्वाब है के ख़याल है..
तू जवाब है के सवाल है..
तुझे ढूंढने की थी ख्वाईशें..
तू जो मिल गई तो मलाल है..
ऐ जिंदगी.. ऐ जिंदगी...

कभी गुदगुदाती है फूल सी..
कभी चुभ गई तो तू खार है..
कभी चश्म-ए-तर भी हुए कभी..
तो तबस्सुमों की बहार है..
ऐ जिंदगी.. ऐ जिंदगी...

कभी बेवफा भी कहा तुझे..
कभी साथ भर इक सैर का..
जिसे हमने अपना समझ लिया..
तू वो प्यार है किसी गैर का..
ऐ जिंदगी.. ऐ जिंदगी...

(ख़ार: काँटा, चश्म-ए-तर: आसुओं से भरी आँखें, तबस्सुम:मुस्कुराहट)

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