शांत समुद्र..
दूर क्षितिज..
साँझ की वेला..
डूबता सूरज..
पंछी की चहक..
फूलों की महक..
बहके से कदम..
तुझ ओर सनम..
उठता है यूँ ही..
हर शाम यहाँ..
यादों का नशा..
यादों का धुआँ..
कुछ और नहीं..
कुछ और नहीं..
यादों के सिवा..
अब और यहाँ..
यादों में बसे..
लम्हों में फसे..
रहता हूँ पड़ा..
खामोश खड़ा..
आंसू की नमी..
आँखों में लिए..
पत्तों की कमी..
साखों में लिए..
पतझड़ का झड़ा..
एक पेड़ खड़ा..
रहता हूँ वहीँ..
खामोश खड़ा..
दूर क्षितिज..
साँझ की वेला..
डूबता सूरज..
पंछी की चहक..
फूलों की महक..
बहके से कदम..
तुझ ओर सनम..
उठता है यूँ ही..
हर शाम यहाँ..
यादों का नशा..
यादों का धुआँ..
कुछ और नहीं..
कुछ और नहीं..
यादों के सिवा..
अब और यहाँ..
यादों में बसे..
लम्हों में फसे..
रहता हूँ पड़ा..
खामोश खड़ा..
आंसू की नमी..
आँखों में लिए..
पत्तों की कमी..
साखों में लिए..
पतझड़ का झड़ा..
एक पेड़ खड़ा..
रहता हूँ वहीँ..
खामोश खड़ा..
हर शाम किनारों पर तेरी..
यादों में डूबने जाता हूँ..
यादों में डूबने जाता हूँ..
- सोनित
वाह ! बहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी..
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