i ) "तुम्हे जिन्दगी से शिकायत बहुत है..मगर मौत भी बेरहम कम नहीं...
जिन्हें जिस्म ढकना मुनासिब नहीं..यही मौत उनसे कफ़न मांगती है..."
ii) "किस्मत का रोना क्यूँ रोऊँ..मै बशर खुदा का बच्चा हूँ...
जिस ओर सफ़र में मुड जाऊं..उस ओर सड़क मुड जाएगी..."
iii) "अब जाना क्यूँ दीवानों को दुनिया परवाना कहती है...
हमने सौ बार मोहब्बत की..हम सौ बार जले यारों..."
iv)"जहाँ में आफतें सौ और इक आफत जिगर में है...
मगर सौ झेलना आसां यहाँ इक झेलना मुश्किल..."
v)"किसी से क्या हिमायत की करूँ दरकार मै साहब...
बशर खुद्दार को खुद सा कोई काबिल नहीं दिखता...
खुदा ईमान खुद्दारी इन्ही से बात होती है...
मुझे अपनों में कोई और तो शामिल नहीं दिखता..."
vi)"मैकदों में मैकशों की भीड़ दिखना आम है...
इस कदर पी आज इंसा की शराफत पी उठे...
मौत से जाकर लिपटना फितरते-बुजदिल रही...
इस कदर जी मौत भी तुझसे लिपटकर जी उठे..."
vii)"इक दिन आऊंगा खूब नशा तेरे लब का कर जाऊंगा...
नजरों में क्या पागल तेरे मै ख्वाबों में बस जाऊंगा...
कुछ देर ठहर जा और अभी वो वक़्त जरा आ जाने दे...
तब तक मुझको इस पास खड़े मैखाने में ही जाने दे..."
viii)"बुरा क्या था अगर इस दर्द के मै साथ में दिलबर...
तुम्हारी याद भी चलकर मिटा लेता अगर थोड़ी...
दवाखाने में क्यूँ छोड़ा जरा चलते तो मैखाने...
दावा के साथ में दारू चडा लेता बशर थोड़ी..."
ix)"कलेजा तो हमारा है..मगर तुम चीर के देखो...
यहाँ हर खून का कतरा तुम्ही से प्यार करता है...
बगावत इस कदर यारों ज़माने में नहीं देखी...
मनाओ लाख पर हरक़त वही सौ बार करता है..."
x)"तुम्हारी याद में हर पल हरिक लम्हा जिया हूँ मै...
इसी तरह बिता दी इस बशर ने जिन्दगी सारी...
न पूछो क्या मोहब्बत का हुआ मुझपे असर यारों...
और अंत में...
"हुकुम कर के चले वो ऐ बशर तू भूल जा मुझको...
रसूलों से मोहब्बत की तेरी औकात ही क्या है...
मगर हम भी मोहब्बत के बड़े पक्के खिलाडी हैं...
खुदा को मात देते है .. तुम्हारी बात ही क्या है..."
-सोनित
सुन्दर प्रस्तुति......
ReplyDeleteआपको नववर्ष की शुभकामनाएँ।
किस्मत का रोना क्यूँ रोऊँ..मै बशर खुदा का बच्चा हूँ...
ReplyDeleteजिस ओर सफ़र में मुड जाऊं..उस ओर सड़क मुड जाएगी..." very nice.
Dhanyvad Nisha ji evem dhanyvad India Darpan..
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeletethank you Sawai ji..
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