उनको लगती है खुशी सिर्फ हमारे दिल में..
कौन जाने इसी में दर्द छिपा रक्खा है..
कौन जाने इसी में दर्द छिपा रक्खा है..
कितना आसान है सब दिल से दगा करते हैं..
और इस दिल को यही हमने सिखा रक्खा है..
आदमी गैर का गम देख सुकू करता है..
अपनी आखो को यही हमने दिखा रक्खा है..
जिसपे सोया हूँ वही ओड के सो जाना है..
आज चादर की जगह कफ्न बिछा रक्खा है..
-सोनित
-सोनित
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