बयाँ आखों से हो दिल तक पहुंच जाए कोई कोई ऐसि ,
कहीं हो शायरी ग़ालिब मेरे मुझको सुना देना,
मैं उसके दर्द में भी खुद ही बनके मोम पिघलूँगा,
अकेले वो कभी रोए तो जाकर ये बता देना,
सितारे तोड़कर लाना नहीं खातिर तेरे मुमकिन,
सितारों से मगर दुनिया सजा दूंगा बता देना,
चला हूँ साथ चलता हूँ, मैं बनकर फूल खिलता हूँ,
वो जिन कलियों को छूकर के गुजरते हैं बता देना.
- सोनित
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